आज मनुष्य जिस तेज़ी से विकास के पैमाने तय कर रहा है, उसी तेज़ी से इसका चरित्र गिरता जा रहा है। आज के युग में जहां पैसा ही भगवान नज़र आ रहा है, उसे देखकर लगता है कि दुनिया का अंत समीप है। आधुनिकता के इस युग में पैसे कमाने की होड़ में यू तो हर एक किसी दूसरे का शोषण करने में प्रयासरत है, लेकिन आज के युग में भी सबसे अधिक शोषण का शिकार हमेशा से शोषित होती आयी नारी ही है। कहीं उन्हें सरेआम फैशन की दौड़ में लूटा जाता है तो कहीं देह व्यापार की अंधी गली में धकेल दिया जाता है।
हद तो तब होती है, जब उनके अपने माता-पिता, चाचा, भाई, चाचा जैसे सगे रिश्तेदार ही महिलाओं को इस दलदल में फंसने पर मजबूर कर देते हैं। पूरे-पूरे खानदान और गांव के गांव देह व्यापार के धंधे में शामिल हो जाते हैं। मानवाधिकार संगठन तो हमेंशा से ही आवाज़ उठाते आए हैं कि भारत के कई जातिसमूह देह व्यापार को खानदानी पेशा बना कर परिवार की महिलाओं का शोषण करते है। आंकड़ो के मुताबिक भारत के देह व्यापार का 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा पारिवारिक देह व्यापार की देन है. आज बेडिया और बांछड़ा समाज जैसी कई जनजातियों के उदहारण सबके सामने हैं.
देह व्यापार के धंधे में जल्द से जल्द झौंकने के चक्कर में कम उम्र लडकियों को "आक्सीटासिन" जैसी दवाइयों के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जिससे उनके शरीर के हार्मोन बिगड़ जाते हैं और वह 11-12 साल की उम्र में ही देह व्यापार में उतार दी जाती हैं। आपको बताते चलें कि "आक्सीटासिन" वह इंजेक्शन है जो भैंसो को अधिक तथा जल्दी दूध देने के लिए तथा मूर्गियों को जल्दी बड़ा बनाने के चक्कर में लगाए जाते हैं। ऐसे इंजेक्शन से अक्सर शरीर के हार्मोन बिगड़ जाते हैं, जो कि बाद में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं। सबसे अधिक हैरत की बात तो यह है कि खुले आम ऐसे घृणित काम होते हैं और प्रशासन को इसकी खबर भी नहीं लगती है। या फिर खबर ना लगने का नाटक किया जाता है?
अक्सर कम उम्र की लड़कियों को अगवा करके ऐसी जगहों पर ले जाया जाता है। ताकि बड़ी होकर उन्हें भी पैसे की हवस के चलते देह व्यापार में धकेला जा सके। कम उम्र से ही परिवार में पलने के चक्कर में किसी लड़की को यह पता ही नहीं होता कि वह कहीं से अगवा करके लाई गई थीं और वह स्वयं को परिवार का ही हिस्सा समझती है। साथ ही साथ बचपन से ही उनके यह दिमाग में डाला जाता है कि यह बुरा कर्म नहीं बल्कि उनका पारिवारिक कार्य है।
यह तथ्य तब सामने आया जब दिल्ली से अगवा 3 से 5 वर्ष की उम्र की बच्चियों के सुराग तलाशते हुए दिल्ली पुलिस की एक टीम राजस्थान के अलवर ज़िले के दो गांवों में पहुंची, इन गांवो का सच देखकर उनके होश उड़ गए। लड़कियों की बरामदगी के साथ ही एक ऐसा घिनौना सच भी सामने आ गया जिसे सुन कर हैवानियत भी कांप उठे। दोनों गांवों के अधिकतर लोग अपनी स्वयं की बेटीयों के साथ-साथ अगवा करके दूर-दराज़ से लाई गई लड़कियों के द्वारा देह व्यापार का अंतर्राज्जीय और अंतर्राष्ट्रीय कारोबार चला रहे थे।
आखिर इस हैवानियत की कोई हद भी है? क्या अब भी हमें इस पर विचार नहीं करना चाहिए कि यह उपभोकतावाद और अधर्म की दौड़ हमें कहा ले जाकर छोड़ेगी?
-शाहनवाज़ सिद्दीकी
Keywords:
Prostitution, Women, देह व्यापार, शोषण
ओह ..बड़ा वीभत्स....
ReplyDelete"ऐसे किस्से सुनकर हृदय भी चिर गए है
ReplyDeleteमन के भाव मानो ठण्ड के मारे ठीर गए हैं
औरो का तो कुछ पता नही की क्या हुआ होगा ये पढकर
मगर हम हैं की लज्जा के मारे, खुद अपनी आँखों से ही गिर गए हैं "
ये सब कुछ लोगों के पैसे की लोभ लालच की अतिवादी प्रविर्ती और सरकारी व्यवस्था के दम तोरने की वजह से बढ़ता ही जा रहा है / इसे हम सब का एकजुट प्रयास ही कुछ हद तक रोक सकता है / किसी के पास खाने को कुछ नहीं कोई खाखा कर मोटा हो मर रहा है ,ये दर्दनाक तस्वीर है हमारे देश और समाज की /
ReplyDeleteहिला कर रख दिया अंतिम पंक्तियों ने तो....ओह!पता नहीं किसका दुर्भाग्य है ये...
ReplyDeleteउनका या हमारा जो ये सब इतने आराम से सुन रहे है और कुछ भी नहीं कर पा रहे है इसके सुधार के लिए....
कुंवर जी,
यह आक्सीटासिन भी बडा दुख दे रहा है, तरबूज और कद्दू में किसान भाई लगाते हैं दोगुना तीन गुना साइज हो जाता है
ReplyDeleteगिरे हुए समाज का नंगा सच | जागरूकता भेरी पोस्ट के लिए आभार |
ReplyDeleteहालाँकि यह कुत्सित , घृणित और काला कारोबार युगों युगों से चलता आया है कोई नया पैदा नहीं हुआ है और इसकी ज़रूरत भी है दुनिया में............
ReplyDeleteपरन्तु इन दिनों जिस प्रकार और जिस स्तर पर हो रहा है वह दुखदायी है
उदर पूर्ति के लिए किसी विवश नारी का देह समर्पित करना अथवा रोज़ी रोटी से वंचित लोगों द्वारा मज़बूरी में देह बेचना एक अलग बात है, लेकिन पैसा कमाने के लिए, पैसा जोड़ने के लिए और मज़े के लिए करना ..अत्यंत अफसोसनाक है.
उम्दा आलेख लिखा आपने.............
आपकी लेखनी को मेरा सलाम !
Aapka lekh padh kar desh ki durdasha par bahut Afsos hua. Samaj me aise bhi log hai, jo apne hi pariwar ke sath aisa ghinona kary....
ReplyDeleteसमाज का नंगा सच आपने उजागर कर दिया
ReplyDeleteशाहनवाज जी, देह व्यापार तो हमेशा से ही होता आया है. यह नारी उत्पीडन का सदियों पुराना तरीका है, आज भी बदस्तूर जारी है. यहाँ तक की छोटी बच्चियों तक को नहीं छोड़ते यह भूखे भेडिये. बहुत बहुत धन्यवाद ऐसी बुराई की तरफ समाज का ध्यानाकर्षण करने के लिए.
ReplyDeleteपश्चिम में देह-व्यापार कहा जाता है इसे ... और यह मान्यता प्राप्त भी है...
ReplyDeleteमतलब एक घर में पिता जी किसी टेलिकॉम कंपनी में है और भाई इंश्युरेंस कम्पनी में कार्र्यरत है और घर की लाडली का देह-व्यापार नामक बिज़नेस होता है...
Aapne bahut hi Jwalant mudda uthaya hai. Aaj samaaj ka isi tarah patan ho raha hai. Lobh ke chakkar me log Insaniyat ko khatm kar rahe hai.
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteमां-बाप का फ़र्ज़ औलाद की सही परवरिश करना है, उसे सही-ग़लत की तमीज़ सिखाना है ताकि वह सही रास्ते पर चले और अपना, अपने परिवार का और समाज का भला कर सके, लेकिन अगर मां-बाप सही-ग़लत का भेद ठीक से न समझते हों और वे अपनी औलाद को भी पूर्वजों की परम्परा के नाम पर ग़लत शिक्षा दें तो औलाद को चाहिये कि उनकी ग़लत बात को न माने और उस आदमी का अनुसरण करें जिसे सही-ग़लत का सच्चा बोध हो और वह एक परमेश्वर के प्रति पूरी निष्ठा के साथ समर्पित हो।
ReplyDeletehttp://blogvani.com/blogs/blog/15882
वाकई सत्य और सटीक लिखा है ...////इस विषय पर यहाँ भी कुछ अच्छा है {{लड़की बिक गयी, इज्ज़त का पता नहीं , हाँ, इंसानियत तो लुट गयी। }} http://athaah.blogspot.com/2010/05/blog-post_5939.html
ReplyDeleteशोक महा शोक
ReplyDeleteहद है.....
ReplyDeleteसोच कर भी शर्म आती है ऐसे लोगों के बारे में...
बड़ा ही ज्वलंत मुद्दा उठाया है आपने, शाहनवाज़ भाई.....
SO SAD.....
ReplyDeleteअत्यंत मार्मिक स्थिति है
ReplyDeleteसुन्दर आलेख.
दर्दनाक और विभत्स!! कल ही समाचार में देख रहा था.
ReplyDeleteकभी समाचार चैनलों में भी देखा था... वीभत्स तो है ही. इससे ज्यादा दुःख की बात ये की इनपर अंकुश या सुधार के कोई ठोस कार्य नहीं हो पा रहे हैं.
ReplyDeleteसबका कनेक्शन सिर्फ पैसे से ही रह गया है.
एक बेहतरीन मुद्दा आपने उठाया है
ReplyDeleteधन्यवाद ,आशा है आप ऐसे ही काम करते रहेगे
dabirnews.blogspot.com
आप बिलकुल सही कह रहे हैं ज्यादातर पैसो के लिए ही वेश्यावृत्ति और मानव तस्करी होती आई है
ReplyDeleteबहुत अच्चा लेख
आभार