मुझको कैसा दिन दिखाया ज़िन्दगी ने
हर इक को मुझ पर हंसाया ज़िन्दगी ने
तुझको खोकर ज़िन्दगी से जब मिले थे
मौत की हद तक सताया ज़िन्दगी ने
हमको बहुत नाज़ था अपनी हंसी पर
खून के आंसू रुलाया ज़िन्दगी ने
सुन के हर इक शेर यह दिल रो पड़ा था
जब गीत मेरा गुनगुनाया ज़िन्दगी ने
यूँ तो मरते हैं जहाँ में लाखों लोग
उस मौत पर आंसू बहाया ज़िन्दगी ने
- शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'
Keywords: Death, Gazal, Ghazal, आंसू, गीत, गुनगुनाया, ज़िन्दगी, नाज़, मौत, रुलाया, शेर, सताया, हंसी
फ़ासिज़्म के पेरुकार
-
फ़ासिज़्म की एक पहचान यह भी है कि इसके पेरुकार अपने खिलाफ उठने वाली आवाज़ को
बर्दाश्त नहीं कर सकते, हर हाल में कुचल डालना चाहते हैं!
बहुत खूब।
ReplyDeleteज़िन्दगी के कई रंग दिखाती ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद !
ReplyDeleteसुन के हर इक शेर यह दिल रो पड़ा था
ReplyDeleteजब गीत मेरा गुनगुनाया ज़िन्दगी ने
-वाह!! बेहतरीन..
shaahnvaaz bhaayi khush nsib ho jo dusron ki hnsi ki vjh bne ho , jnaab aapne hnsi or gm kaa sngm bhut khub andaaz men pesh kiya he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबहुत से रंग दिखाए ज़िंदगी के ..
ReplyDeleteआपका ब्लाग अच्छा लगा .ग्राम चौपाल मे आने के लिए धन्यवाद .आगे भी मिलते रहेंगें
ReplyDeleteजिंदगी भी अजीब है क्या क्या रंग दिखाती है ..... अच्छी ही नहीं लाजवाब रचना
ReplyDeletehttp://oshotheone.blogspot.com
ज़िन्दगी के रंग कई रे...
ReplyDeleteबेहद्द खूबसूरत अशआर हैं..
शुक्रिया..!
यूँ तो मरते हैं जहाँ में लाखों लोग
ReplyDeleteउस मौत पर आंसू बहाया ज़िन्दगी ने
क्या बात कही है ,सच में बेहतरीन
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गुरु पाँव ।
मूल नाम गुरु वचन है, मूल सत्य सतभाव ॥
हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
बेहतरीन। लाजवाब।
ReplyDeleteशुक्रगुजार हूँ मै उसकी उसी दिन से जिस दिन
ReplyDelete"प्रेमरस" से रूबरू करवा दिया था जिंदगी ने.
उम्दा ग़ज़ल शाहनवाज़ भाई..शुक्रिया
ReplyDeleteशिक्षा का दीप जलाएं-ज्ञान प्रकाश फ़ैलाएं
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की बधाई
अच्छी ग़ज़ल है.
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग संकलक हमारीवाणी
ज़िन्दगी के ऊपर बहुत दर्द भरी ग़ज़ल लिखी है आपने. सवाल-जवाब फोरम बना कर बहुत अच्छा काम किया है.
ReplyDeleteउम्दा भावनात्मक प्रस्तुती...
ReplyDeleteshbdo ke smndr me lhro ki trha doobti utrati jindgi ke tmam phluo ko drshati behtreen prstuti .
ReplyDeletebahut badhiya bhaijaan
ReplyDeleteहमको बहुत नाज़ था अपनी हंसी पर
ReplyDeleteखून के आंसू रुलाया ज़िन्दगी ने
वाह वा...वाह वा...बहुत खूब....लिखते रहें...
नीरज
यही तो है ज़िन्दगी..कभी ख़ुशी कभी ग़म..
ReplyDeleteख़ूबसूरत अशआर आप मुबारक बाद के मुस्तहक़ हैं।जैसी हमारी रिवायत है इस गज़ल में शाह, सिद्धिक या साहिल को क्यूं नहीं दिखाया ज़िन्दगी ने।
ReplyDeleteBahu acha leki hai
ReplyDeleteब्लाग जगत की दुनिया में आपका स्वागत है। आप बहुत ही अच्छा लिख रहे है। इसी तरह लिखते रहिए और अपने ब्लॉग को आसमान की उचाईयों तक पहुंचाईये मेरी यही शुभकामनाएं है आपके साथ
ReplyDelete‘‘ आदत यही बनानी है ज्यादा से ज्यादा(ब्लागों) लोगों तक ट्प्पिणीया अपनी पहुचानी है।’’
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मालीगांव
साया
लक्ष्य
हमारे नये एगरीकेटर में आप अपने ब्लाग् को नीचे के लिंको द्वारा जोड़ सकते है।
अपने ब्लाग् पर लोगों लगाये यहां से
अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से
कृपया अपने ब्लॉग पर से वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा देवे इससे टिप्पणी करने में दिक्कत और परेशानी होती है।
बहुत लाजवाब....
ReplyDeleteहारना नहीं , हौसला रखना है हरदम
ReplyDeleteहौले हौले पाठ पढ़ाया जिंदगी ने
अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"
ReplyDeletepaki gazal per pakad achi hain likhte rahe
ReplyDeleteAchchhi ghazal!
ReplyDeleteतुझको खोकर ज़िन्दगी से जब मिले थे
ReplyDeleteमौत की हद तक सताया ज़िन्दगी न
beautiful ... aap bohot accha likhte hai.... :)
इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteसर, बहुत बहुत बढ़िया रचना के लिए. वाह क्या लिखा है.
ReplyDelete--
धनतेरस व दिवाली की सपरिवार बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
-
वात्स्यायन गली
शानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteएक विचार : चाहे कोई माने या न माने, लेकिन हमारे विचार हर अच्छे और बुरे, प्रिय और अप्रिय के प्राथमिक कारण हैं!
-लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
E-mail : dplmeena@gmail.com
E-mail : plseeim4u@gmail.com
http://baasvoice.blogspot.com/
http://baasindia.blogspot.com/
very emotional ....
ReplyDeletedard jhalakta hai es gazal mai...
har shabad sachai ugal raha hai
bht hi sundar likha hai....lovely:)
वाह ये ब्लाग तो आज देखा। तो आप गज़ल भी लिखते हैं मुझे नही पता था।
ReplyDeleteहमको बहुत नाज़ था अपनी हंसी पर
खून के आंसू रुलाया ज़िन्दगी ने
वाह क्या बात है।
सुन के हर इक शेर यह दिल रो पड़ा था
जब गीत मेरा गुनगुनाया ज़िन्दगी ने
बहुत उमदा शेर है। बधाई।
very nice !!
ReplyDeleteबहुत खूब !
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