एक ऐसे शायर से मुलाकात जिसकी जुबान पर महबूब के पांव की खामोशी नहीं बल्कि कान छिदवाती गरीबी होती है... मिलिए मुनव्वर राना से इस बार के हम लोग में।
कल मेरी ज़िन्दगी को मशहूर शायर जनाब मुनावार राना साहब के साथ मुलाक़ात का ताउम्र ना भूलने वाला मौका मयस्सर हुआ। इस लुफ्त-अन्दोज़ मुलाक़ात के सफ़र में दीगर हज़रात के साथ जनाब संतोष त्रिवेदी और सानंद रावत जी मेरे हम-कदम थे। एनडीटीवी के प्रोग्राम 'हमलोग' में उनकी आमद की खबर संतोष भाई ने मुझे दी और मालूम किया कि क्या आप आना चाहते हैं... भला इसका जवाब ना में कैसे दिया जा सकता था?
उनसे मिलना, उनको अपनी आँखों के सामने सुनना, मेरे लिए ख्वाब जैसा था, इसलिए बिना सोचे समझे ही हाँ कर दी। इस मुलाक़ात के लिए मैं संतोष भाई का तहे-दिल से आभारी हूँ...
उम्मीद है उनको देख-सुन कर आपको भी एक अजब सा लुत्फ़ मिला होगा!
मुनव्वर राना साहब के साथ खाकसार |