जनसत्ता में "प्रेम रस"

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  • Shah Nawaz
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  • 11 comments:

    1. sachaai likhi hai....issi tarah likhte rahiye

      bht accha likha hai....

      congrats!

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    2. शाहनवाज जी यह आपके अच्छे सोच का परिणाम है /

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    3. mubataq ho!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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    4. धन्यावद दोस्तों! वैसे यह पोस्ट गलती से हो गयी, मुझे लगता था की पुरानी तारिख में पब्लिश की गई पोस्ट ब्लोग्वानी पर पब्लिश नहीं होती है. अभी ऑफिस से घर वापिस आया और ब्लॉग देखा तो आश्चर्य हुआ. :)

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    5. शाहनवाज़ जी वैसे भी आपके ब्लॉग की घड़ी का समय गलत है। मैं टिप्पणी दे रहा हूँ 20 मई की शाम 7:42 पर और यहाँ दिख रहा 20 मई की सुबह 7:12 का समय!

      बी एस पाबला

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