हमारी आस्था और उसके विरुद्ध लोगों की राय पर हमारा व्यवहार
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अक्सर लोग अपनी आस्था के खिलाफ किसी विचार को सुनकर मारने-मरने पर उतर जाते
हैं, उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी उतनी ही इज्जत देगा, जितनी कि हमारे
दिल में...
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mubaarak ho ji...
ReplyDeletekunwar ji,
बहुत अच्छा
ReplyDeletesachaai likhi hai....issi tarah likhte rahiye
ReplyDeletebht accha likha hai....
congrats!
शाहनवाज जी यह आपके अच्छे सोच का परिणाम है /
ReplyDeleteबधाई हो!
ReplyDeleteबधाई भाई !
ReplyDeletemubataq ho!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteधन्यावद दोस्तों! वैसे यह पोस्ट गलती से हो गयी, मुझे लगता था की पुरानी तारिख में पब्लिश की गई पोस्ट ब्लोग्वानी पर पब्लिश नहीं होती है. अभी ऑफिस से घर वापिस आया और ब्लॉग देखा तो आश्चर्य हुआ. :)
ReplyDeleteशाहनवाज़ जी वैसे भी आपके ब्लॉग की घड़ी का समय गलत है। मैं टिप्पणी दे रहा हूँ 20 मई की शाम 7:42 पर और यहाँ दिख रहा 20 मई की सुबह 7:12 का समय!
ReplyDeleteबी एस पाबला
बधाई
ReplyDeleteCongrats!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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