वो जिसकी याद में कटती है ज़िन्दगी अपनी
उसी के साथ में शामिल है हर खुशी अपनी
वो लिखना चाहें तो लिक्खे तेरी अदाओं पे
जहाँ के दर्द में डूबी है शायरी अपनी
नया है दौर ये ज़ालिम बड़ा ज़माना है
ज़रा जतन से छुपाना तू मुफलिसी अपनी
मिरे कदम से मिलाया है हर कदम उसने
हर इक सफर में हुई है यूँ रहबरी अपनी
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- शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'