दिल्ली की ब्लॉगर्स मीट
ब्लॉगर सम्मलेन की हर बात निराली है,
मैं रात भर ख्वाब में भी वहीं था,
पत्नी बोली......
उठो सुबह होने वाली है.
सुबह कार्यालय जाना था,
वर्ना सम्मलेन में ही खोया रहता,
सम्मलेन का मज़ा लेता,
लोगो को दिखाने के लिए,
मज़े से सोया रहता.
वक्ताओं की भी वहां हर अदा निराली थी,
खाने के लिए भी सबने महफ़िल जमा ली थी,
समौसे, पकौड़े के साथ पीते रहे कोका-कोला.
वहां तो कुछ बोल न पाया,
लेकिन ख्वाबों में खूब बोला.
अविनाश जी से कहते रहे,
आपका प्रयास सफल है.
और झा जी से बोले,
अच्छे सम्मेलनों की
सफलता तो अटल है.
नापसन्दी चटका
अब बंद होना चाहिए,
जिसने टांग ही खींचनी है,
उसे टिप्पिया के कहना चाहिए.
खुशदीप सहगल जी की,
इस बात में बहुत दम था,
लगता है चाय में दूध थोडा ज्यादाह
और पानी कम था.
राजीव जी और माणिक की
मेहमान नवाजी दिल को भा गई,
और दिल्ली की ब्लॉगर्स मीट,
पुरे ब्लॉग जगत में छा गई!
-शाहनवाज़ सिद्दीकी
Keywords:
Hindi Kavita, Delhi Bloggers Meet, हिंदी कविता
आज फिर निश्चिंत माली है
ReplyDeleteआपकी अदा भी तो निराली है
इस अनोखे अन्दाज़ के क्या कहने
बहुत ही बढ़िया...सुन्दर..कवितामयी विवरण लेकिन मेरे बेटे का नाम तो कुनाल नहीं माणिक है .. :-(
ReplyDeleteशाहनवाज जी आपके इस प्रेम रस के प्रेम वर्षा के क्या कहने / लाजवाब प्रस्तुती / राजीव जी मैंने भी आपके बेटे का नाम कुनाल ही समझा था ,अच्छा हुआ आपने हमारी गलती हमें बता दी ,अब याद रखूँगा माणिक को,माणिक सचमुच माणिक है /
ReplyDeleteज़ोरदार!
ReplyDeleteब्लोग्गेर्स मीट और कविता दोनों.
राजीव जी, गलती के लिए क्षमा चाहूँगा, मैंने कहीं पर कुनाल पढ़ा इसलिए अज्ञानतावश लिख दिया. चलिए इस त्रुटी के लिए क्षमा मांगते हुए मैंने इसे सही कर दिया है.
ReplyDelete:)
भाई आपने चाहा तो था मैं आपके साथ चलता, लेकिन मैं दिल्ली में नहीं था इस लिये इस ब्लागर मीट में हम साथ न जासके लेकिन आपसे यह तो पता चल ही गया कि में वहां न जाकर भी भाईयों को याद था, जिक्रे खेर में याद किया गया, धन्यवाद
ReplyDeleteकविता लाजवाब,
आपने हमारी नुमायंदगी की इसके लिये 'शाबाश'
बढियां !
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट
ReplyDeleteVyang Ras liye hue ek achhi Kavita Shah ji
ReplyDeleteइस अनोखे अन्दाज़ के क्या कहने......
ReplyDeleteBahut badhiya Shahnawaz bhai.
ReplyDeleteIs blogar meet ki ekmaaatra qaayde ki tasveer aapne hi post ki hai.Badahaaee!
Kavita aur lambi hoti to aur maza aata.
वाह क्या बात है एक अनोखा अंदाज
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..सफलता पर सभी को बधाई.
ReplyDeleteउत्तम अति उत्तम !!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteऔर दिल्ली की ब्लॉगर्स मीट,
ReplyDeleteपुरे ब्लॉग जगत में छा गई!
वह क्या लिखा है शाहनवाज़ भाई...............
आपकी हास्य कविता भी छा गई...............
...लाजवाब !!!
ReplyDeleteशाह जी ने काव्य से ब्लॉगरों को नवाज दिया।
ReplyDeleteआज ब्लॉगर्स मीट को एक नया आगाज दिया।।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि गद्य में भी अपनी एक पोस्ट लगाएं। ब्लॉग जगत को अपने कीबोर्ड की खासियत से महकाएं।
शाहनवाज जी,
ReplyDeleteआप सबसे मिलना एक सुखद संयोग रहा । चलिए इसी बहाने आपसे रूबरू तो हुए , बहुत ही दिलचस्प अंदाज़े बयां रहा आपका ।
nice
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई हो।
ReplyDeleteजय ब्लॉगरी... जय हिन्दी... जय हिन्द...!!!
koi commentrators- meet bhi hoti hai?
ReplyDeleteशाहनवाज भाई,
ReplyDeleteये तो साफ़ कीजिए मेरी किस बात मे दम था,
नापसंदगी वाली या चाय में दूध ज़्यादा पानी कम था...
जय हिंद...
खुशदीप जी, बिलकुल नापसंद के चटके वाली बात में. :)
ReplyDeleteटिपण्णी करने वाले सभी साथियों का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteइरफ़ान भाई, कार्यालय की वयस्तता के चलते समय की कमी से बहुत कम ही लिख पाया. और यह फोटो भी मैंने नहीं खीचा, केवल फोटोशोप में edit किया था. :-)
अविनाश जी, आपके अनुरोध और अन्तर्मन की आवाज़ पर गद्य में भी लिखने का प्रयास किया है. :)
zeal जी, ब्लोगर्स सम्मलेन में केवल ब्लोगर ही नहीं बल्कि टिप्पणीकार भी पहुंचे थे. आगे से आपका भी बहुत-बहुत स्वागत है.
Apka likhne ka andaaz bahut hi achha hai. Kavita padhkar bahut maza aayaa. Lekin ye "नापसन्दी चटका" kya hai?
ReplyDeletebehtar!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteशाहनवाज जी , दिल्ली ब्लॉगर्स मीट की काव्य के माध्यम से अच्छी जानकारी दी है । चंद लाइनों में बहुत कुछ कह दिया है । मैं मीट में नहीं पहुंच सकी इसका मुझे बहुत दुख है ।
ReplyDeleteShah Nawaz ji, -
ReplyDeleteThanks .