आज कल कार खरीद के बदले किराया देने के नाम पर आम जनता की गाढ़ी कमाई लूटने का धंधा ज़ोरो पर है। कुछ कंपनियां अपने आप को मोटर कार किराए पर चलाने वाली कंपनी बता कर लोगो से कार शेयर पर चलाने के लिए पैसे मांगती हैं। इसमें एक यूनिट के आमतौर पर एक लाख पचास हज़ार रूपये के आस-पास पैसे वह लोगो से वसूलती हैं तथा बदले में पांच वर्ष तक हर माह आठ-नौ हज़ार रूपये तथा अंत में पांच साल पुरानी कार के बदले हर यूनिट के पचास-साठ हज़ार रूपये देने की बात करती है।
ऐसी कंपनियां कुछ महीनों तक तो ठीक-ठाक चलती रहती हैं, जब लोगों को उनपर यकीन आ जाता है तो वह अपना सबकुछ इसी काम में लगा देते हैं। यहां तक की अपनी पहचान वालों को भी इस तथाकथित व्यापार में अपना पैसा लगाने के लिए तैयार करते हैं। अक्सर ऐसी कंपनियां नए ग्राहक लाने के लिए कमीशन का लालच भी देती हैं ताकि जल्द से जल्द से ज्यादा पैसा बटोरा जा सके। कई लोग तो अपने पुश्तैनी घर तक बेच कर लाखों रूपये अपने बुढ़ापे के आसरे के लालच में इन लालची कंपनियो के दे देते हैं। अच्छा पैसा इकट्ठा हो जाने पर यह कम्पनियां र्फूचक्कर हो जाती है। जब लोगों के बैंक अकाउंट में उक्त महीने के पैसे नहीं आते तो उनके पैरो तले ज़मीन खिसक जाती है। कई लोग अपना सबकुछ गवां देने के बाद खुदकुशी का सहारा लेते हैं।
सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि आज समाज में इतनी जागरूकता होने के बात भी ऐसे ठग आसानी से कैसे लोगों को ठग लेते हैं। और जहां आज कोई एक पैसे से भी किसी की सहायता करने के लिए तैयार नहीं होता है, वहां अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई कैसे दे देता है? दरअसल ऐसी कंपनियां मनोविज्ञान में माहिर होती हैं और जानती है कि मध्यवर्गीय लोगों को लोभ में लेने की नस कहां है। इसलिए सबसे पहले नुकसान सह कर भी अपने उपर विश्वास जमाया जाता है। ऐसी कंपनियां चलाने वाले जानते हैं कि मध्यमवर्गीय लोगों को लाभ के लोभ में फंसा कर अक्ल से अंधा किया जा सकता है और इसके लिए उनका विश्वास जीतना सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य है। एक बार विश्वास जमा तो रात-दिन पैसा कमाने की धुन में परेशान लोगों के पास समय ही नहीं बचता है यह देखने के लिए कि कंपनी उनके पैसे का प्रयोग कैसे कर रही है। यह लोग ऐसे जाल बुनने के लिए पूर्व निवेशकों और दलालों के द्वारा लोगों को यह एहसास दिलाते है बहुत से निवेशक अपना पैसा लगाने के लिए तैयार है, पैसा लिए घूम रहे हैं लेकिन कंपनी बड़ी मुश्किल से और व्यक्तिगत रसूख के कारण उसका पैसा अपने कारोबार में लगाने के लिए तैयार हुई है। इसमें कई बार दलाल निवेशकों से कमीशन तक लेते हैं. इस चक्कर में कोई भी इन कंपनियों के लाईसेंस तथा कारोबार से जुड़े अन्य कागज़ात के बारे में पता करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता है।
सबसे दुखद पहलू यह है कि प्रशासन सबकुछ देखते हुए भी जानबूझ कर कर सोया रहता है और उसकी नींद तब खुलती है जब कंपनियां लोगो की गाढ़ी कमाई को ठग कर रफूचक्कर हो चुकी होती है। प्रशासन से तो इस मामले में उम्मीद करना दूर की कौड़ी है। समाज को स्वयं ही इस तरह के घोटालों से बचने के लिए कमर कसनी होगी। और एक-दूसरे को इस तरह की ठगियों के बारे में शिक्षित करने से ही यह संभव हो सकता है।
-शाहनवाज़ सिद्दीकी
ऐसी कंपनियां कुछ महीनों तक तो ठीक-ठाक चलती रहती हैं, जब लोगों को उनपर यकीन आ जाता है तो वह अपना सबकुछ इसी काम में लगा देते हैं। यहां तक की अपनी पहचान वालों को भी इस तथाकथित व्यापार में अपना पैसा लगाने के लिए तैयार करते हैं। अक्सर ऐसी कंपनियां नए ग्राहक लाने के लिए कमीशन का लालच भी देती हैं ताकि जल्द से जल्द से ज्यादा पैसा बटोरा जा सके। कई लोग तो अपने पुश्तैनी घर तक बेच कर लाखों रूपये अपने बुढ़ापे के आसरे के लालच में इन लालची कंपनियो के दे देते हैं। अच्छा पैसा इकट्ठा हो जाने पर यह कम्पनियां र्फूचक्कर हो जाती है। जब लोगों के बैंक अकाउंट में उक्त महीने के पैसे नहीं आते तो उनके पैरो तले ज़मीन खिसक जाती है। कई लोग अपना सबकुछ गवां देने के बाद खुदकुशी का सहारा लेते हैं।
सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि आज समाज में इतनी जागरूकता होने के बात भी ऐसे ठग आसानी से कैसे लोगों को ठग लेते हैं। और जहां आज कोई एक पैसे से भी किसी की सहायता करने के लिए तैयार नहीं होता है, वहां अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई कैसे दे देता है? दरअसल ऐसी कंपनियां मनोविज्ञान में माहिर होती हैं और जानती है कि मध्यवर्गीय लोगों को लोभ में लेने की नस कहां है। इसलिए सबसे पहले नुकसान सह कर भी अपने उपर विश्वास जमाया जाता है। ऐसी कंपनियां चलाने वाले जानते हैं कि मध्यमवर्गीय लोगों को लाभ के लोभ में फंसा कर अक्ल से अंधा किया जा सकता है और इसके लिए उनका विश्वास जीतना सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य है। एक बार विश्वास जमा तो रात-दिन पैसा कमाने की धुन में परेशान लोगों के पास समय ही नहीं बचता है यह देखने के लिए कि कंपनी उनके पैसे का प्रयोग कैसे कर रही है। यह लोग ऐसे जाल बुनने के लिए पूर्व निवेशकों और दलालों के द्वारा लोगों को यह एहसास दिलाते है बहुत से निवेशक अपना पैसा लगाने के लिए तैयार है, पैसा लिए घूम रहे हैं लेकिन कंपनी बड़ी मुश्किल से और व्यक्तिगत रसूख के कारण उसका पैसा अपने कारोबार में लगाने के लिए तैयार हुई है। इसमें कई बार दलाल निवेशकों से कमीशन तक लेते हैं. इस चक्कर में कोई भी इन कंपनियों के लाईसेंस तथा कारोबार से जुड़े अन्य कागज़ात के बारे में पता करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता है।
सबसे दुखद पहलू यह है कि प्रशासन सबकुछ देखते हुए भी जानबूझ कर कर सोया रहता है और उसकी नींद तब खुलती है जब कंपनियां लोगो की गाढ़ी कमाई को ठग कर रफूचक्कर हो चुकी होती है। प्रशासन से तो इस मामले में उम्मीद करना दूर की कौड़ी है। समाज को स्वयं ही इस तरह के घोटालों से बचने के लिए कमर कसनी होगी। और एक-दूसरे को इस तरह की ठगियों के बारे में शिक्षित करने से ही यह संभव हो सकता है।
-शाहनवाज़ सिद्दीकी
Keywords:
Car-on-rent, Fraud, Thug, ठग, ठगी, निवेश
आज ठगी ही सबसे उम्दा पेशा है ,मुंह में राम बगल में छुड़ी का की कद्र होता है ,सच्चाई और ईमानदारी से किये गए हर प्रयास का हर जगह विरोध होता है / लेकिन ये ठगी करने वाले सिर्फ अच्छे और इमानदार लोगों के ही काबू में आते हैं ,गीदरों को तो ये ठग भी लेते हैं और परेशान भी करतें हैं / अच्छी विवेचना की है आपने शाहनवाज जी ,लेकिन कैसे कोई इसको रोकेगा जब रोकने वालों को ही कोई साथ नहीं देगा /
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी भरा जागरूक करता आलेख
ReplyDeleteNice information Shah ji.
ReplyDeleteMeri coloney mein bhi kai log aise fraud ke shikar hue hai. Ek to bechara bahut ghareeb tha, aur Ganv ki zameen bechkar usne paise ka jugad kiya tha.
ReplyDeleteप्रशासन सोया नहीं रहता बल्कि देखता रहता है कि कहां से कमाई की जुगाड़ बन रही है...
ReplyDeleteसमाज को स्वयं ही इस तरह के घोटालों से बचने के लिए कमर कसनी होगी।'
ReplyDeleteसबसे उचित तो यही है, प्रशासन से उम्मीद करना तो बेकार ही है
जरुरी जानकारी भरी पोस्ट !
ReplyDeleteअच्छी जानकारियों से भरी हुई पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट शाहनवाज़ भाई असल मे ये सब इंसान की लालचीपन के कारण हो रहा है ठग हमेशा इंसान को जल्द अमीर होने का लालच दिलाते है जिससे वह उनके फेर मे आ जाता है । नही तो यही लोग किसी की जरूरत मे एक रुपया भी देने को तैयार होते और ठगो को अपनी सब जमा पूँजी उठा देते है
ReplyDeleteTehseen ke sath bhi bilkul aisa hi waqia hua tha...
ReplyDeleteलालच बुरी बला है . इस बात को इन्सान आखिर कब समझेगा ?
ReplyDeleteजब तक दुनिया में लालची रहेंगे, ऐसे ठग भी मौजूद रहेंगे.
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