लोगो को लगता है कि किसी अनपढ़ के मंत्री या किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तथा किसी कम पढ़े लिखे या अनप्रोफेशनल के प्रोफेशनल मंत्रालय को देखने में कोई फर्क ही नहीं है?
बंधुओं योग्यता पढ़ाई की मोहताज नहीं होती, मगर इसका मतलब यह नहीं कि कालीन बनाने के हुनरमंद को सोफ्टवेयर बनाने का काम दे दो। योग्यता और पेशेवर योग्यता में फर्क होता है... किसी कम्पनी का मालिक होने का मतलब यह नहीं कि वह कम्पूटर प्रोग्रामिंग से लेकर फाइनेंस और मार्केटिंग से लेकर ग्राफ़िक्स डिजाइनिंग तक करने की क्षमता स्वयं रखता हो, बल्कि उसे इस तरह के पेशेवर कार्यों के लिए पेशेवर लोग रखने पड़ेंगे। इसलिए उसके ग़ैर-पेशेवर या पेशेवर होने से फर्क नहीं पड़ता, शिक्षित होने से भी उतना फर्क नहीं पड़ेगा जितना अयोग्य होने से पड़ेगा।
आम से काम तो सभी कर सकते हैं, केवल योग्यता की आवश्यकता होती है। मगर पेशेवर कार्यों के लिए पेशेवर लोगो को ही आगे करना चाहिए...
अब तक चलता रहा तो कब तक चलता रहेगा? अगर मेरी बात समझ रहें हैं तो आपको याद होगा कि अब स्वास्थ मंत्री डॉक्टर ही बनने लगे हैं... ऐसे ही खेल मंत्री किसी खिलाड़ी को बनाया जाना चाहिए और देश में उच्च शिक्षा और साक्षरता जैसे अहम काम की ज़िम्मेदारी शिक्षा के क्षेत्र के किसी उच्च शिक्षित व्यक्ति को ही मिलनी चाहिए, बारहवीं वाले को नहीं! जिससे शिक्षा में अनिच्छुक लोगों में गलत सन्देश ना जाए और उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखने वालों को उनकी हसरतों / ज़रूरतों के मुताबिक़ अवसर प्राप्त हो सकें... जान-पहचान के बल पर तो और भी मंत्रालय दिए जा सकते हैं।
यह विचारणीय प्रश्न है कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति साक्षरता के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर सकता है, जो स्वयं स्नातक तक की डिग्री ना रखता हो तथा स्वयं अपनी शिक्षा को लेकर हलफनामों में गलत जानकारी देता रहा हो?
अगर कोई यह तर्क देता है कि पढ़े-लिखों ने सिवाए घोठालों के क्या किया? तो यहाँ यह समझना आवश्यक है कि शिक्षा भ्रष्ठ होने से नहीं रोक सकती जबतक नैतिकता ना हो! और इससे यह परिपाठी भी नहीं बनाई जा सकती है कि अगर कोई प्रोफेशनल व्यक्ति सफल नहीं हुआ इसलिए अशिक्षित को ज़िम्मेदारी सौंपी जाए!
यहां बात किसी के सफ़लता पूर्वक करने या ना करने की है भी नहीं, बल्कि पेशेवर कार्यों के नियम पेशेवर तरीके से ही बनने चाहिए, कभी अच्छे रिज़ल्ट नहीं भी आएं, तब भी... मतलब अगर कोई ग़ैर-पेशेवर सफल भी हो जाए तब भी इसे नियम नहीं बनाया जाना चाहिए!
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