हज़ारों साज़िशें कम हैं सियासत की अदावत की
हर इक चेहरे के ऊपर से नकाबों को हटाता चल
कभी सच को हरा पाई हैं क्या शैतान की चालें?
पकड़ ले आइना हाथों में बस उनको दिखाता चल
करो कुछ काम ऐसे भी अदावत 'इश्क़' हो जाएं
रहे इंसानियत ज़िंदा, मुहब्बत को निभाता चल
भले कैसा समाँ हो यह, बदल के रहने वाला है
कभी मायूस मत होना, यूँही खुशियाँ लुटाता चल
- शाहनवाज़ 'साहिल'
हर इक चेहरे के ऊपर से नकाबों को हटाता चल
कभी सच को हरा पाई हैं क्या शैतान की चालें?
पकड़ ले आइना हाथों में बस उनको दिखाता चल
करो कुछ काम ऐसे भी अदावत 'इश्क़' हो जाएं
रहे इंसानियत ज़िंदा, मुहब्बत को निभाता चल
भले कैसा समाँ हो यह, बदल के रहने वाला है
कभी मायूस मत होना, यूँही खुशियाँ लुटाता चल
- शाहनवाज़ 'साहिल'