फेसबुक / ट्विटर जैसी सोशल साइट्स पर आजकल इस तरह की फोटो लगातार शेयर्स की जा रही हैं, जिसमें एक तथाकथित भाजपा कार्यकर्ता के द्वारा फेसबुक पर एक फोटो शेयर की गई है। जिसमें वह अपने घर पर चुनाव से पहले EVM मशीन के साथ दिखाई दे रहा है और उसके मित्र उससे इस बारे में कॉमेंट कर रहे हैं।
इस पर पठान परवेज़ लिखते हैं कि "क्या हम चुनाव से ठीक एक दिन पहले EVM को अपने घर ला सकते हैं? यहाँ इस फोटो में एक भाजपा सपोर्टर EVM के साथ अपने घर पर दिखाई दे रहा है। वाराणसी में प्रयोग होने वाली EVM में 42 उम्मीदवार और एक नोटा को मिलकर टोटल 43 बटन होने चाहिए, जो कि फोटो में दिखाई भी दे रहे हैं।
आपसे अनुरोध है कि इस फोटो को इलेक्शन कमीशन को फॉरवर्ड करें, जिससे कि सत्यता की जाँच हो सके. यह एक बड़ा फ्रॉड दिखाई दे रहा है, अगर सच हुआ तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा।"
इसी फोटो पर समीर लिखते हैं कि "बीजेपी समर्थको द्वारा इस तरह की फोटो अपलोड की जा रही है। मै सभी राजनितिक दलों और चुनाव आयोग से यह जवाब चाहूँगा कि वो इस तरह की खबर पता लगने के बाद भी शांत क्यों बैठा है? चाहे कुछ भी है, चुनाव आयोग को इसका जवाब देना पड़ेंगा की सरकारी मशीन किसी पार्टी विशेष के कार्यकर्ता के घर कैसे जा सकती है। क्या इसमें चुनाव आयोग भी मिला हुआ है?"
इस विषय पर मैंने चुनाव से पहले ही 5 अप्रेल को शबनम हाशमी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का ज़िक्र करते हुए फेसबुक पर स्टेटस डाला था:
"क्या इलेक्शन कमीशन की राजनैतिक दलों से हैक हो सकने वाली वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर कोई सेटिंग हो सकती है? यह सवाल खड़ा किया है शबनम हाशमी ने। उन्होंने बताया कि दो दिन पहले खुद चुनाव आयोग ने ईवीएम हैकिंग को पकड़ा है, जहां किसी भी बटन को दबाने पर वोट भाजपा के खाते में ही गया था, मगर इसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। उन्होंने एक फिल्म के द्वारा समझाया कि कैसे ईवीएम की मॉस हैकिंग की जा सकती है, मतलब एक साथ हज़ारों मशीनों से मन-पसंद वोट डलवाए जा सकते हैं।
उन्होंने बैलेट पेपर्स के द्वारा चुनाव कराए जाने की मांग की, जिससे कि वोट करने वाले को पता रहे कि उसका वोट किस प्रत्याशी को पड़ा। इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए शबनम हाशमी।"
इस बीच हरियाणा और महाराष्ट्र जैसी कई जगहों से भी यह खबरे आईं की EVM पर कोई भी बटन दबाने से एक ही उम्मीदवार को वोट डल रहे हैं।
मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि चुनाव नतीजा किसी EVM हैक के कारण आया है! वैसे भी मैं ऐसा इलज़ाम बिना किसी ठोस सबूत के नहीं लगा सकता हूँ। मैं सिर्फ इस ओर ईशारा कर रहा हूँ कि कई लोगो ने यह दावा किया है कि EVM आसानी से और एक साथ बड़ी तादाद में हैक हो सकती हैं। और इसके साथ ही मैं यह मालूम करना चाहता हूँ कि पार्टी विशेष के कार्यवाकर्ताओं के इस तरह के फोटो पर जाँच क्यों नहीं हुई? और अगर हुई तो क्या हुई? यह आम लोगो को जानने का हक़ है।
साथ ही साथ आम जनता को यह जानने का अधिकार है कि EVM पर चुनाव आयोग किस तरह की सिक्योरिटी अपनाता है। मेरी मांग है कि इसे और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए, ताकि वोटर को पता चल सके कि उसका दिया वोट उसके पसंद के प्रत्याशी को ही मिलता है या नहीं। यहाँ यह भी एक पॉइंट है यह सूचना वोट की गोपनीयता के उसूल के भी खिलाफ है कि लोकसभा चुनाव में ब्लॉक / कॉलोनी स्तर अथवा विधानसभा स्तर पर किस पार्टी को कितने मत मिले। बैलेट पेपर्स में गिनती से पहले सारे बैलेट्स को पहले मिलाया जाता था, जिससे कि क्षेत्रवार नतीजा पता नहीं चल पाएं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है।
अगर चुनाव लोकसभा सीट का है तो उम्मीदवारों को जानकारी केवल सीट के स्तर पर ही मिलनी चाहिए, जिससे कि जीतने के बाद सांसद किसी क्षेत्र विशेष से दुर्भावना से काम ना करे अथवा किसी तरह का पक्षपात नहीं कर सके।
देशनामा.कॉम पर पढ़ें:
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बेहद गंभीर वारदात की जांच होनी चाहिये। उक्त श्रीवास्तव साहब ने अब अपनी प्रोफाइल को डी एक्टिवेट कर लिया है और संभवतः सबूत भी नष्ट या तो कर दिये होंगे या करने की प्रक्रिया मे होंगे। फिर भी इस मामले को सक्षम जानकार व्यक्तियों द्वारा जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान मे लाना चाहिये।
ReplyDeleteसादर
अमरोहा में 66 % मुस्लिम हैं और कुल वोटों का 50 % बीजेपी को मिला है. इसका मतलब या तो मुसलमानों ने जमकर बीजेपी को वोट दिया या फिर कहीं कोई गड़बड़ है.
ReplyDeleteIski jaach jald se jald honi chahiye
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