हर मज़हब को बहुत सजाया, आओ मिलकर देश सजाएँ
मंदिर-मस्जिद के झगड़ों ने लाखों दिल घायल कर डाले
अपने ख़ुद को बहुत हंसाया, आओ मिलकर देश हसाएँ
मालिक, खालिक, दाता है वो, सदा रहे मन-मंदिर में
उसका घर है बसा बसाया, आओ मिलकर देश बसाएँ
गाँव, खेत, खलिहान उजड़ते, आँखे पर किसकी नम है
इतना प्यारा देश हमारा, आओ मिलकर देश चलाएँ
अपने घर का शोर मचाया, दुनिया के दिखलाने को
अपने घर को बहुत दिखाया, आओ मिलकर देश दिखाएँ
नफरत के तूफ़ान उड़ा कर, देख चुके हैं जग वाले
प्रेम से कोई पार न पाया, आओ मिलकर प्रेम बढाएँ
मंदिर-मस्जिद पर मत बाँटो, हर इसाँ को जीने दो
भारत की गलियों में 'साहिल', चलो ख़ुशी के दीप जलाएँ
- शाहनवाज़ 'साहिल'
Keyword: bharat, india, mandir, masjid, friendship, love, war