हमारी आस्था और उसके विरुद्ध लोगों की राय पर हमारा व्यवहार
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अक्सर लोग अपनी आस्था के खिलाफ किसी विचार को सुनकर मारने-मरने पर उतर जाते
हैं, उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी उतनी ही इज्जत देगा, जितनी कि हमारे
दिल में...
चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी
Posted on by Shah Nawaz in
Labels:
Blograga
चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी
बड़ी दूर तक गया।
लगता है जैसे अपना
कोई छूट सा गया।
कल 'ख्वाहिशे ऐसी' ने
ख्वाहिश छीन ली सबकी।
लेख मेरा हॉट होगा
दे दूंगा सबको पटकी।
सपना हमारा आज
फिर यह टूट गया है।
उदास हैं हम
मौका हमसे छूट गया है।
आओ किसी ओझा-पंडित
को दिखाएँ हम,
यह हो न सके तो
वैद्य को ही बुलाएं हम।
इसके बिना दिन-रात
कैसे चैन आएगा?
ब्लॉग चर्चाओं का चर्चा
ग़ुम हो जाएगा?
हुआ पेट में है दर्द
कैसे हाज़मा करें?
कैसे हो अब तमाशा
किसे अब जमा करें?
लिख तो दिया है 'ब्लॉग'
पर किसको दिखाएँगे?
छुट्टी पर गई वाणी को
कैसे मनाएँगे?
- शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'
Keywords:
Blogvani, ब्लागवाणी, शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'
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khoob andaaz hai sahab !! achchi khilli bhi hai kath aur choone ke saath....
ReplyDeleteshahroz
सही है भैया, आज तो हम भी सोच रहे थे कि हमारी पोस्ट हिट हो जाएगी लेकिन ब्लागवाणी के बिना हिट तो नहीं पिट जरूर गयी है।
ReplyDeleteमनाओ भाई मनाओ
ReplyDeleteजय हो
हा हा हा
ReplyDelete... मनाने की कोई जरुरत नहीं है ... वह अपने अनियमित / अव्यवहारिक सिस्टम पसंद/नापसंद को सुधार कर ले ... तब स्वागत है अन्यथा ....!!!!
ReplyDeleteBLOGVANI = BLOCKVANI
ReplyDeleteसिद्दीक़ी साहब ,
ReplyDeleteमुझे ब्लागवाणी के बारे जानकारी नहीं है , इसलिये कोई कमेंट नहीं कर पाउंगा !
पता नहीं क्या हुआ
ReplyDeleteकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक लिखा आपने ब्लागवाणी के बिना ब्लागजगत सूना हो जाएगा
ReplyDeleteपरेशान सभी हैं, लेकिन कुछ नासपीटे फ़िर भी अपनी अकड़ बनाये रखने के लिये ब्लागवाणी की आलोचना कर रहे हैं। सही कहा है किसी ने, मुफ़्त के गुलाब जामुन भी हजम नहीं कर सकते हम लोग, उसमें भी खोट निकालेंगे ही
ReplyDeletenothing is permanent dost, but way of presentation is really very good,
ReplyDeletevivj2000.blogspot.com
Badhia Likha Hai Shahnawaz Sahab! Maze ka hai.
ReplyDeleteयूँ तो दूर होके भी हम पास है,
ReplyDeleteजीमेल का खाता ही कुछ खाश है.
ब्लोग्वानी को हुआ बुखार है,
चिट्ठे पे चर्चा जोरदार है.
इतने पे ही रूक जाता हूँ,
बिजुली रानी के घर आज उपवाश है.
लिख तो दिया है 'ब्लॉग'
ReplyDeleteपर किसको दिखाएँगे?
छुट्टी पर गई वाणी को
कैसे मनाएँगे? कैसे भी हो अब मनाना पडेगा। नही तो ब्लागिन्ग अच्छी नही लग रही
कविता अच्छी लगी शुभकामनायें
आ गया है ब्लॉग संकलन का नया अवतार: हमारीवाणी.कॉम
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग लिखने वाले लेखकों के लिए खुशखबरी!
ब्लॉग जगत के लिए हमारीवाणी नाम से एकदम नया और अद्भुत ब्लॉग संकलक बनकर तैयार है। इस ब्लॉग संकलक के द्वारा हिंदी ब्लॉग लेखन को एक नई सोच के साथ प्रोत्साहित करने के योजना है। इसमें सबसे अहम् बात तो यह है की यह ब्लॉग लेखकों का अपना ब्लॉग संकलक होगा।
अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:
http://hamarivani.blogspot.com
lajawab!!!!!!Blovani
ReplyDeleteभाई हमें भी बड़ा खेद है ऐसा लगते है जैसे हम अपनों से कही दूर अलग थलग पड़ गये है...जीवन ही सूना सा लग रहा है...बढ़िया मजेदार रचना...धन्यवाद
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteअच्छा है।
ReplyDeletewhat is the meaning of premras
ReplyDeleteहुआ पेट में है दर्द
ReplyDeleteकैसे हाज़मा करें?
कैसे हो अब तमाशा
किसे अब जमा करें?
मुफ़्तखोरी में भी कोई न कोई ऐब निकाल ही लेते हैं हम भारत के लोग… एक दूसरे की टांग खींचने वाले मेंढक ही रहेंगे हम। ब्लागवाणी बन्द ही रहे तो बेहतर है, अब कई ब्लाग वालों को अपनी औकात पता चल जायेगी…
ReplyDeleteBahut Acche Shabdo Me Piroya Shah Ji
ReplyDeleteब्लोगवानी बिना सब अधूरा ही लग रहा है।
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