'प्रेम रस' को बने हुए आज एक साल पूरा हो गया. जब मैं अपने इस एक साल का आकलन करने बैठा तो पाया कि यह मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन साल था. जहाँ इस साल ने मुझे व्यस्तता भरे जीवन में अपने लिए समय निकालने का मौका दिया, वहीँ एक से बढ़कर एक बेहतरीन दोस्त बनाने का मौका भी मिला. हालाँकि ब्लोगिंग की शुरुआत तो मैंने 2007 में इंग्लिश ब्लोगिंग के रूप में की थी लेकिन बचपन से ही हिंदी से लगाव मुझे हिंदी ब्लोगिंग की ओर खींच लाया। 2009 में हिंदी ब्लॉग तो बना लिया था लेकिन ब्लॉग संकलकों के बारे में जानकारी ना होने के कारण बहुत कम लोगो तक ही मेरा ब्लॉग पहुँच पाया। फिर ब्लॉगवाणी और चिटठाजगत का पता चला, इन्हें देख कर ही हिंदी ब्लोगिंग का जूनून चढ़ा। एक वर्ष पहले 'प्रेम रस' ब्लॉग बनाया और ठीक आज ही के दिन पहली पोस्ट
"उर्दू और हिंदी अलग-अलग नहीं है!" इस पर डाली. चिटठा जगत ने तो तत्काल प्रभाव से प्रेमरस को शामिल कर लिया, ब्लॉगवाणी ने थोडा सा समय लिया लेकिन उन्होंने भी उसी दिन शामिल कर लिया.
मुझे आज भी याद है आनंद का वोह पल जब मेरे इस ब्लॉग पर पहली बार किसी की टिप्पणी आई, और वह टिप्पणी थी आदरणीय इस्मत ज़ैदी जी की.
इस्मत ज़ैदी said...
बिल्कुल सही कहा आपने ,उर्दू और हिंदी बहनें ही हैं ,दोनों अपनी अपनी जगह बहुत महत्वपूर्ण और ख़ूबसूरत हैं
यह टिप्पणी महत्वपूर्ण इसलिए भी थी कि 2-2.5 साल में पहली बार मेरे किसी ब्लॉग पर कोई टिप्पणी आई थी और इसके बाद टिप्पणियों का सिलसिला शुरू हो गया था. मैं इसके लिए ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत का आभार व्यक्त करता हूँ, कि उन्होंने मुझे और लोगो के सामने अपने लेखनी को पेश करने का मौका दिया. वर्ना पाठक गूगल से अपने काम से सम्बंधित सूचना सर्च करते हुए आते थे और बिना कोई सन्देश, चर्चा, पसंद-नापसंद बताए हुए ही चले जाते थे.
हालाँकि अपने इस ब्लॉग से पहले ही मैं ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत से अवगत हो गया था. इससे पहले, मैं ऑरकुट पर बनी हिंदी कम्युनिटी का मोडरेटर था और पिछले 2-3 साल से ऑरकुट पर ही लिखता था. वहीँ मेरी मुलाक़ात उमर कैरान्वी भाई से हुई जिन्होंने मुझे ब्लॉगवाणी के बारे में बताया. भौचक्का रह गया था उस दिन ब्लॉगवाणी देख कर, एक साथ, एक जगह, इतने सारे अच्छे-अच्छे लेख / रचनाएं देख कर कैसा महसूस हो रहा था, शब्दों में उस अहसास को व्यक्त नहीं कर सकता हूँ. आज भी उमर भाई का इस तोहफे के लिए आभारी हूँ. ब्लॉगवाणी के संस्थापक मैथिलि जी को पहले से ही जानता हूँ, जबसे आर्ट्स की लाइन में आया हूँ उनके द्वारा इजाद किये गए हिंदी के फोंट्स प्रयोग करता आ रहा हूँ. जब पता चला कि ब्लॉगवाणी भी उनका ही प्रयास है, तो उनके लिए दिल में अपार सम्मान और भी बढ़ गया.
इस एक साल की मेरे दिल में कई खट्टी-मीठी यादें हैं (खट्टी ना के बराबर और मीठी इतनी ज्यादा की डर लगने लगता है.... आजकल ज्यादा मीठा नुक्सान जो पहुंचाने लगा है, :-) शुगर जैसी बीमारियों का फैशन सा चल गया है!!!!! ). इंसान के लिए पूरा जीवन ही पाठशाला होता है, हर कदम पर कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है और ब्लॉग जगत से तो मुझे काफी कुछ सीखने को मिला है, खासतौर पर इसने मुझे जवाबदेह बनाया है, इसकी यही खूबी है कि पाठक आपके लेख पर संवाद कर सकते हैं, जो कि मीडिया के अन्य संस्करणों में नहीं हैं और इसीलिए इसे न्यू मीडिया कहा जाने लगा है।
यहाँ पर बने दोस्तों की सूची बहुत लम्बी है, हर एक हिंदी ब्लोगर अपना लगता है. हर एक ब्लोगर को मैं अपना साथी मानता हूँ और चाहता हूँ कि ब्लॉग जगत की कामयाबियों का यह कारवा यूँ ही बढ़ता चला जाए... अमीन!
(साल भर में 83 पोस्ट पर पाठकों की कुल संख्या इस समय तक 26800 रही. नीचे साल भर की टिप्पणियों का लेखा जोखा भी दिया है. कुल मिला कर 1908 टिप्पणियां ऐसी हैं जिन्हें साल भर में स्वीकृत किया गया हैं.)