जबसे इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया ने देश में पैर पसारे हैं, तब से खबर को सनसनी बनाने और केवल सनसनी को ही खबर के रूप में दिखाने का कल्चर भी पैर पसार गया है. किसी भी खबर को सनसनी बनाने के चक्कर में मीडिया 'एक और एक दो' को 'एक और एक ग्यारह' और कई बार 'एक सौ ग्यारह' बनाने में तुला रहता है, जिसके कारण बात का बतंगड बनते देर नहीं लगती.
जिसके चलते मीडिया की रिपोर्ट पर आँख मूंद कर विश्वास करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता जा रहा है...