आम है क्या?


एक तोता एक दूकानदार से मालूम करता है: लाला जी आम है क्या?
दुकानदार: नहीं! हम आम नहीं बेचते

अगले दिन फिर तोता मालूम करता है: लाला जी आम है क्या?
दुकानदार: अरे बोला था ना... हम आम नहीं बेचते

तीसरे दिन फिर तोता मालूम करता है: लाला जी आम है क्या?
दुकानदार खुन्नस में आकर कहता है: अगर अब बोला तो हथौड़ा मारूंगा!

चौथे दिन तोता मालूम करता है: लाला जी हथौड़ा है क्या?
दुकानदार: नहीं!
तोता: तो आम है क्या???
लाला जी हैरान...परेशान!!!

पांचवे दिन तोता फिर आ धमकता है: लाला जी आम है क्या?
लाला जी उसके मुंह पर हथौड़ा दे मारते हैं, तोते के दांत टूट कर बिखर जाते हैं!!!

छठे दिन तोता फिर से आ धमकता है
लाला जी तोते को बिना दांत के देखकर मुस्कराते हैं.... 

तोता धीरे से कहता है: लाला जी! 



आम का जूस है क्या???

Read More...

है आज समय जागने का


















है आज समय जागने का

है आज समय जागने का,
सो रहे हो आज क्यूँ?
गर हौसलों में दम नहीं तो
जी रहे हो आज क्यूँ?

हो रही मुल्क की दुर्गति,
सब कह रहे हैं प्रगति।
है यही अगर प्रर्गति तो
रो रहे हो आज क्यूँ?

धोखाधड़ी में लीन सब,
है लूटना ही दीन अब।
सब उंगलियां है सामने,
खुद किया क्या है आपने?
है लूटना ही दीन तो
बैचेन फिर हो आज क्यूँ?

हर ओर भ्रष्टाचार है,
सबका यही विचार है।
गर हुए गम से त्रस्त हम,
फिर खुद हुए क्यों भ्रष्ट हम।
है गम का यही सबब तो
गम पी रहे हो आज क्यूँ?

जहां दुकानें है धर्म की,
क्या कीमत होगी कर्म की?
यह मर्म ही पता नहीं,
खुश हो रहे हो आज क्यूँ?

है आज समय जागने का...


- शाहनवाज़ 'साहिल'






Keywords:
Hindi poem, kavita, hai aaj samay jagne ka, rashtra, desh bhakti, jago re, हिंदी

Read More...
 
Copyright (c) 2010. प्रेमरस All Rights Reserved.