मैं भारतीय लोकतंत्र को शासन व्यवस्था में सबसे बेहतरीन समझता हूँ, मगर इसमें भी बहुत सी कमियाँ हैं। जैसे कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव में अक्लमंद और कमअक्ल के 'वोट' का वज़न (Value / weightage) बराबर होता है, जबकि यह सर्वविदित है कि निर्णय लेने में 'अक्ल का दखल' होता है और इसके कम या ज़्यादा होने का फ़र्क निर्णय के सही होने के स्तर पर पड़ता है।
चुनाव में मताधिकार का मतलब ऐसे उम्मीदवार के चयन के लिए अपनी राय देना है, जो कि सबसे अच्छी तरह से सम्बंधित क्षेत्र में शासन व्यवस्था संभाल सकता है या / और उससे सम्बंधित दल निकाय / राज्य या देश की शासन व्यवस्था का संचालन कर सकता है।
सही उम्मीदवार का चुनाव क्षेत्र / देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है, ऐसे में किसी उम्मीदवार के लिए दो असमान बुद्धि वाले लोगों की राय का वज़न सामान कैसे हो सकता है?
हालाँकि किसी की अक्ल को नापने का पैमाना इतना आसान नहीं है, मगर फिर भी कम से कम शिक्षा के आधार पर 'वोट का वज़न' तय किया ही जा सकता है!
हालाँकि यह भी सही तर्क है कि अनुभव शिक्षा पर भारी पड़ सकता है और हमारे देश में शिक्षा प्रणाली भी अभी उतनी मज़बूत नहीं है। मगर कमियों के बावजूद शिक्षा को छोड़कर कोई और ऐसा पैमाना नज़र नहीं आता है, जहाँ परीक्षा के द्वारा अक़्ल का पैमाना तय होता हो।
आपका क्या ख़याल है?