'Make in India' की विफलता का कारण ही यही है कि पहले देश के हालात को ठीक नहीं किया गया। अगर घर में कूड़ा पड़ा हो तो आप लोगों को दावत पर नहीं बुला सकते हैं, इसके लिए पहले घर की सफाई करनी पड़ेगी, तब जाकर लोग आएँगे।
इसलिए पहली ज़रूरत समाज से नफ़रत, भ्रष्टाचार और अपराध की राजनीति को समाप्त करने की है, जहाँ देश के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए 'नफ़रत की खेती' करते हों वहां 'Make in India' कैसे संभव है भला? हमें यह समझना होगा कि Business without peace संभव ही नहीं है, अनिश्चितताओं और हिंसा के भय में रह रहे क्षेत्र में व्यापार कभी फल-फूल नहीं सकता।
सौजन्य: 'दा हिन्दू' |
क्या देश में शिक्षा के हालात ठीक किये बिना कंपनियों को कार्य करने के लिए Skilled Labour मिल पाएगी? जबकि देश में शिक्षा की हालत बदतर है और शिक्षा उद्योगपतियों की बपौती बन कर रह गई हो?
इसलिए पहली ज़रूरत समाज से नफ़रत, भ्रष्टाचार और अपराध और इसमें लिप्त राजनीति को समाप्त करने की है, इसके साथ-साथ शिक्षा, न्याय, स्वास्थ्य, इंफ्रास्टक्चर में निवेश करना पड़ेगा। देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए इंफ्रास्टक्चर में आमूलचूल परिवर्तन लाना पड़ेगा।
मतलब #MakeIndiaFirst करना पड़ेगा और अगर ऐसा हो गया तो हमें किसी के आगे जाकर हाथ फैलाने, गिड़गिड़ाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी बल्कि देश में विनिर्माण के लिए इन विदेशी कंपनियों की ख़ुद-बा-ख़ुद लाइन लगेगी ।
सबसे पहले देश के हालात ठीक करिये प्रधानमंत्री जी!