नयन उनके जबसे हमें भा गए हैं
वो तबसे निगाहें चुराते गए हैं
हर इक शाम कटती थी कूचे में मेरे
कहीं और के रास्ते भा गए हैं
वो यूँ जाने वाला कहाँ तक चलेगा,
जो हरसू लगेगा कि हम आ गए हैं
हुई महफ़िलों में तबाही की बातें
जो पर्दा उठा करके वोह आ गए हैं
मेरी आशिकी की कशिश देखिये तो
नज़र नीची करके वो शरमा गए हैं
अभी तक थे मशहूर जलवे सनम के
मगर आज अपने गज़ब ढा गए हैं
- शाहनवाज़ 'साहिल'
- शाहनवाज़ 'साहिल'