पश्चिम जगत अब उन्ही आतंकवादियो का समर्थक क्यों है?


जिन आतंकवादी संगठनों की हरक़तों के कारण पश्चिम जगत दुनिया के सारे मुसलमानों को आतंकवादी ठहराने पर तुला हुआ था, आज वही संगठन उनके लिए सीरिया में मुजाहिदीन हो गए? अब उन पर ड्रोन हमले नहीं बल्कि हथियार पहुंचाएं जा रहे हैं... आम फौजियों की तरह सैलिरी, हथियार और अन्य सुविधा मुहैय्या करवाई जा रही हैं?

और जब सारे हित साध लिए जाएँगे तो फिर से उनकी नज़र में सारे मुसलमान आतंकवादी हो जाएँ।

बंदर लडवा रहें हैं और बिल्लियाँ लड़ रही हैं और दूर बैठी बाकी बिल्लियाँ अपनी-अपनी पसंद की बिल्लीयोँ का समर्थन कर रहीं है।

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राजनेताओं के पोस्टर देखकर ख़याल आता है

सच-सच बताना...









अगर आपका सहमत हैं तो कहिये फिर











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प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह


हालाँकि प्रशासक के तौर पर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह मेरी पसंद नहीं हैं, लेकिन प्रधानमंत्री होने के नाते और देश के तरक्की की राह पर अग्रसर होने में उनकी महत्तवपूर्ण भूमिका के कारण में उनकी इज्ज़त करता हूँ। हालांकि इस इज्ज़त का मतलब नाकामयाबियों पर चुप रहना भी नहीं हो सकता है।


उनके कार्यकाल के पहले आठ वर्ष बेहतरीन रहे हैं, जिसमें देश ने आर्थिक तौर पर तरक्की की नयी उचाईयों को छुआ है... और इसका क्रेडिट उनको मिलना चाहिए। चाहे जो भी कारण रहे हों, लेकिन उनके कार्यकाल में ना सिर्फ कश्मीर जैसे अशांत क्षेत्रों में हिंसा में कमी आई, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी वारदातों में काफी कमी आई। उनके ही कार्यकाल में आरटीआई, नरेगा, शिक्षा का अधिकार और डायरेक्ट कैश ट्रान्सफर जैसे अनेकों महत्त्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। हालाँकि बाद के दिनों में अर्थव्यवस्था की हालत नाज़ुक हुई, मगर इसके लिए सरकारी निर्णयों के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां भी ज़िम्मेदार कही जा सकती हैं।

लेकिन इसके बावजूद प्रशासक के तौर पर उन्हें अक्षम ही कहा जाएगा। और इसी कमी के कारण वह भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहे हैं। सरकारी तंत्र की क्या बात की जाए, जबकि स्वयं उनके मंत्रियों पर ही भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हों। हालाँकि जिन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उनको पद मुक्त किया गया और उन पर पुलिस कार्यवाही भी हुई। लेकिन सरकारी तौर पर उनको बचाने के भी भरपूर प्रयास हुए।

देश का प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की तरह ज़मीन से जुड़ा हुआ और इंदिरा गाँधी जैसा अच्छा प्रशसक होना चाहिए।  ऐसा व्यक्ति जो देश की अखंडता, आंतरिक सुरक्षा और देश के सामाजिक ताने-बाने को और मज़बूत करने एवं रखने में आगे बढ़कर नेतृत्व कर सके। केवल देश को तरक्की की राह पर अग्रसर रखने वाला ही नहीं बल्कि उस तरक्की को आम आदमी तक पहुचाने वाला भी होना चाहिए। अच्छे अर्थशास्त्री को तो देश का वित्त मंत्री बना कर भी काम चलाया जा सकता है। 

लोग अक्सर डॉ मनमोहन सिंह के कम बोलने का मज़ाक उड़ाते हैं, मगर मेरा मानना है कि देश को ज्यादा बोलने वाले और तेज़-तर्रार नेताओं ने ही डुबोया है, ज़रूरत बोलने वालो की नहीं बल्कि कम बोलने और ज्यादा काम करने वालो की है… फर्क बोलने ना-बोलने से नहीं बल्कि काम करने ना-करने से पड़ना चाहिए!









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सभी खास-ओ-आम को यौम-ए-आजादी मुबारक!


आप सभी को यौम-ए-आज़ादी मुबारक हो... इस आज़ादी को हासिल करने और बचाए रखने के लिए अनगिनत कुर्बानियाँ दी गयी हैं! आइये इस स्वतंत्रता दिवस पर हम प्रण करें कि हमारी कोशिश ऐसी हो कि वोह कुर्बानियाँ ज़ाया ना जाए। हमारी कोशिशें देश की फिज़ा को खुशगवार और तरक्की की ओर ले जाने वाली होनी चाहिए, जहाँ कोई इतना गरीब ना हो कि भूख से मर जाए, हर इक को इलाज मयस्सर हो, हर बच्चा स्कूल जा पाए।

दुआ करें कि हम मानसिक गुलामी से जल्द से जल्द आज़ाद हो जाएँ! रब करे हमारे मुल्क़ को जल्द से जल्द मुकम्मल आज़ादी हासिल हो!

जय हिन्द!








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बयान और बस बयान


हमारे सैनिकों को शहीद करने वाले चाहे पाकिस्तानी सैनिक थे या नहीं थे, परन्तु आये तो उसी धरती से थे। वहीँ पर खुलेआम आतंकवादियों के ट्रेनिंग शिविर भी लगते हैं, जिन्हें वहां की सरकार खुलेआम संरक्षण देती है। जब आपने इतनी जल्दी उनकी पहचान पता कर के हमपर इतना उपकार कर ही दिया है तो आपको उनके ठिकानों की भी ज़रूर जानकारी होगी ही? तो कयों नहीं नेस्तनाबूद कर देते हैं एंटनी बाबू? फिर तो पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादियों का पर्दा भी नहीं रहेगा!

मानता हूँ कि हमारी सेनाएँ उनकी तरह नामर्द नहीं हैं जो चुपके से वार करें, मगर कमज़ोर भी नहीं हैं जो दुश्मन को उसके घर में घुसकर सबक ना सिखा सके!

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देशभक्ति की नई परिभाषा

आजकल देशभक्त (नई परिभाषानुसार "राष्ट्रवादी") होना कितना आसान है ना? किसी विशेष धर्म से ताल्लुक रखो, या फिर विशेष पार्टी अपना लो, या फिर देशभक्ति पर शेरो-शायरी करो, कविताएँ रचो, क्रिकेट टीम के जीतने पर जश्न मनाओ, पटाखे छोडो...

छोडिये, यह सब भी बस का नहीं है तो ब्लॉग / फेसबुक / ट्विटर पर स्टेटस / पोस्ट अपडेट करो, बस बन गए देशभक्त। फिर कुछ भी करते फिरो, चाहे घृणा फैलाओ, दंगे करो, रिश्वत लो-दो, दब कर मिलावट करो, खूब सड़कों पर कूड़ा फेकों, सड़के घेरों, अवैध कब्ज़े करो, झूठ बोल कर सामान बेचो, रास्तों के अवरोधक बनो, जगह-जगह थूकते फिरो इत्यादि इत्यादि...

सरहदों पर दुश्मन हवाओं का रुख मोड़ने और शहीद होने के लिए तो सेना के जवान हैं ना... बस उनकी याद में झूठे आंसू बहाना मत भूलना या फिर स्टेटस अपडेट!










Keywords: indian, corruption, deshbhakt, rashtravadi, rashtrwad, patriotic, patriotism

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