महिला अधिकारों का दमन क्यों होता है?

महिला अधिकारों के हनन के अनेक कारण हो सकते हैं, पर मेरे हिसाब से महिलाओं में शिक्षा तथा आर्थिक सशक्तिकरण की कमी इसके प्रमुख कारण हैं और इनसे भी बड़ा एक वजह है पौरुषीय दंभ। आइये इसी पर चर्चा करते हैं।



शिक्षा के साथ साथ महिलाओं के अधिकारों के दमन में आर्थिक सशक्तिकरण होना या नहीं होना भी एक महत्वपूर्ण कारक होता है। गरीब परिवारों में महिलाएं भी परिवार को चलाने के लिए उपलब्ध आय के स्रोतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अगर आप देखेंगे तो गरीब किसान परिवारों में महिलाएं फसलों की बुआई तथा कटाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, वहीं गरीब मज़दूर परिवारों में भी महिलाएँ मजदूरी करके परिवार चलाने में अपनी भूमिका निभाती हैं।

वहीं दूसरी तरफ आर्थिक तौर पर मज़बूत अर्थात अमीर परिवारों में भी महिलाएं आर्थिक तौर पर सशक्त होती हैं। और यही कारण है कि गरीब तथा अमीर परिवारों में महिला अधिकारों का दमन उतने बड़े रूप में नहीं होता जितना कि मध्य आय वर्ग में होता है। मध्य आय वर्ग ही वोह समूह है जहाँ महिलाओं के अधिकारों का सबसे ज़्यादा दमन होता है।

इसके अलावा हमारा सामाजिक तानाबाना भी महिला अधिकारों के दमन का जिम्मेदार होता है। एक लडकी अपने माता-पिता के घर मे पली-बढ़ी होती है, और एक कम्फर्ट लेवल का जीवन जी रही होती है, पर शादी के बाद उसे ऐसे घर मे जाना होता है, जिसके बारे में वोह ज़्यादा नहीं जानती। उसे वहाँ ऐसे परिवार के सदस्यों के साथ रहना होता है जो पहले से ही उस परिवार का हिस्सा होते हैं। ऐसे में नए घर के सदस्यों की सोच और नई बहु की सोच में बहुत बड़ा गैप आना स्वाभाविक है। नए परिवार में हर कोई दूसरों को अपने हिसाब से चलना चाहता है, यही घर के क्लेश की वजह भी बनती है और यहीं से महिला अधिकारों के दमनचक्र की शुरुआत भी हो सकती है।

आज समाज को इस व्यवस्था का हल ढूंढना होगा। ऐसा क्यों होता है कि शादी के बाद लड़की ही अपना घर छोड़कर लड़के के घर जाकर रहे? क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि दोनों एक-दूसरे के घर-परिवार में जाकर रहने की जगह मिलकर एक तीसरा घर बसाएं। पर इस व्यवस्था में हमें लड़के और लड़की के बुजुर्ग माता-पाता के भरण-पोषण और बुढ़ापे में ज़रूरी केयर कैसे मिले, इसके ऊपर भी विचार करना पड़ेगा।

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