ऐसी सीपियाँ जो देखने में खूबसूरती का बेजोड़ नमूना होती हैं, जबकि उन्हें देखने वाला कोई 'अक्लमंद' इंसान वहां मौजूद नहीं होता।
और दूसरी तरफ इंसान है जो बिना मशीनरी और कच्चे माल के कुछ भी बनाने में असमर्थ है, मगर फिर भी अकड़ता फिरता है।
हिन्दू-मुसलिम की जगह सत्य की तरफदारी होनी चाहिए। अक्सर लोग ऐसा करते भी हैं, मगर कुछ लोगो को छोड़कर। जिनके लिए सही-गलत को देखने का चश्मा धार्मिक अथवा जातीय भेदभाव से प्रभावित होकर गुज़रता है। कुछ अज्ञानतावश ऐसा करते हैं तो कुछ राजनैतिक दुष्प्रचार के कारण पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर।